भाई-बहन के अटूट प्रेम की प्रतीक "जीणमाता" "Jeen Mata-Sikar"

Jeen Mata
            जीणमाता (Jeen Mata) शेखावाटी (Shekhawati) अंचल का एक प्रमुख शक्तिपीठ है। शताब्दियों से लोक में इसकी बहुत मान्यता है। जीणमाता का प्राचीन और प्रसिद्द मंदिर सीकर (Sikar) जिले में रेवासा (Rewasa) से लगभग 10 कि.मी. दक्षिण में अरावली पर्वतमालाओं के मध्य स्थित है।
           साक्ष्यों से पता चलता है कि यह मंदिर मूलतः जयन्ती माता का मंदिर है।
                                 जयन्ती मंगला काली, भद्रकाली कपालिनी।
                                 दुर्गा क्षमा शिवा धात्रि, स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते ॥
      उपरोक्त श्लोक में जगतजननी आदिशक्ति का प्रथम नाम जयन्ती कहा गया है। पुराणों में जयन्ती माता का वर्णन आता है। यह नवदुर्गाओं में से एक है। इन्ही जयन्ती माता का जगत में साक्षात्कार करवाता यह जयंतीमाता मंदिर है, जिसमें कालांतर में घांघू-नरेश की सुपुत्री देवी जीण के विलीन हो जाने के उपरांत यह जीणमाता का मंदिर कहा जाने लगा।
      सीकर से लगभग 32 कि.मी. तथा जयपुर-सीकर राजमार्ग पर गोरयां गाँव से 16 कि.मी. की दूरी पर है। सुरम्य प्राकृतिक परिवेश में स्थित यह मंदिर कैर जाल तथा अन्यान्य वृक्षों तथा झाड़ियों से घिरा एक सुन्दर और रमणीक स्थान है।
Jeen mata Temple Sikar 
       जीणमाता के मुख्य मंदिर के पार्श्व में एक तलघर में भामरियामाता (भ्रमरमाता या भंवरामाता ) की मूर्ति है।  मूर्ति के सामने किसी वीर का पीतल का धड़ पड़ा है तथा देवी की आकृति बनी है। जनश्रुति है की यह धड़ पराक्रमी जगदेव पँवार का है, जिसने भामरियामाता के सामने अपनी बलि दी थी।
        लोक विशवास तथा ज्ञात इतिहास के अनुसार वर्तमान चुरू जिले के घांघू गाँव की चौहान राजकन्या जीण ने अपनी भावज के व्यंग्य बाणों और प्रताड़ना से व्यथित होकर सांसारिक जीवन छोड़कर आजीवन अविवाहित रहकर इस स्थान पर कठोर तपस्या की तथा लोकदेवी के रूप में प्रख्यात हुई।
         देवी जीण के भाई हर्ष ने अपनी रूठी हुई बहिन से घर वापस जाने के लिए बहुत अनुनय-विनय की  पर वह न मानी। तब हर्ष ने भी घर वापस लौटने का विचार त्याग दिया तथा समीपवर्ती पर्वत शिखर पर कठोर तपस्या की। इस प्रकार जीणमाता का शक्तिपीठ और हर्षनाथ भैरव भाई-बहिन के निश्छल और अमर प्रेम  बनकर जन-जन  आस्था के केंद्र बन गये। हर्ष और जीण से सम्बंधित लोकगीत शेखावाटी में बहुत लोकप्रिय है।
Harsh Nath Temple Sikar
       जीणमाता एक लोकदेवी के रूप में प्रसिद्ध हैं। यहां प्रतिदिन सैंकड़ों यात्री देवी के दर्शनार्थ आते हैं तथा चैत्र और आश्विन दोनों नवरात्रों में विशाल मेले लगते हैं।

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2 comments:

  1. मुझे आज ही पता चला है कि जीण माता कौरक तिवाडी लोगों की कुल देवी है....

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मिशन कुलदेवी से जुडने के लिये आपका धन्यवाद