चूहों का अद्भुत मन्दिर- देशनोक की "करणीमाता" Karni Mata Temple Deshnok Bikaner

Karni Mata Deshnok Bikaner
     करणीमाता (Karni Mata) का प्रसिद्ध मंदिर बीकानेर से लगभग 33 कि.मी. दूर देशनोक (Deshnok) में अवस्थित है। बीकानेर-जोधपुर रेलमार्ग पर पर यह एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है। करणीमाता के मंदिर के कारण यह स्थान जांगलदेश (बीकानेर और निकटवर्ती क्षेत्र) की नाक या उसकी शान होने के कारण देशनोक कहलाया।
    करणीमाता अन्य देवियों से अलग हैं। वे इस दुनिया में आयी पर अलौकिक रूप में। चारण जाति में जन्म लेने वाली करणीमाता राजस्थान की ऐसी ऐतिहासिक देवी हैं, जिनका जीवन चमत्कारपूर्ण और अलौकिक घटनाओं से भरा है। समाज के सभी वर्गों में इनकी अत्यधिक मान्यता है। करणीमाता बीकानेर के राठौड़ राजवंश की आराध्य देवी हैं। राव बीका द्वारा बीकानेर राज्य की स्थापना, उसके विस्तार और सुदृढ़ीकरण तथा सुरक्षा में करणीमाता की कृपा प्रमुख रही है। राजस्थान में सभी राजघरानों में अपनी कुलदेवियाँ रही हैं।
Karni Mata Darshan
Karni Mata Temple Deshnok
Karni Mata Temple Deshnok Bikaner    
        करणीमाता के मंदिर की अपनी निराली शान और पहचान है। देश-विदेश से असंख्य श्रद्धालु देवी के दर्शन कर इच्छित फलप्राप्ति हेतु यहाँ आते हैं। करणीमाता के मंदिर की सबसे अनूठी विशेषता यह है की निज मंदिर सहित समूचे मंदिर प्रांगण में हजारों की संख्या में चूहे निर्भय होकर स्वच्छंद होकर विचरण करते हैं। ये चूहे करणीमाता के 'काबा' कहलाते हैं। इनको मारना या पकड़ना सर्वथा वर्जित है। अनजाने में भी यदि किसी श्रद्धालु के पाँव से कोई चूहा मर जाये तो उसके प्रायश्चित स्वरूप मंदिर में सोने का चूहा भेंट स्वरूप चढ़ाना पड़ता है।
Rats in Karni Mata Temple
Rats in Karni Mata Temple
        करणीमाता (Karni Mata) का मंदिर अपने शिल्प और स्थापत्य के कारण  भी दर्शनीय है। लगभग पांच सौ वर्ष पुराने इस मंदिर का निर्माण अनेक राजाओं के शासनकाल में तथा विभिन्न चरणों में हुआ है। सर्वप्रथम करणीजी नेहड़ीजी नामक स्थान पर रही तदुपरान्त वर्तमान मंदिर के स्थान पर। इस इस स्थान पर उन्होंने अपने हाथों से विशाल प्रस्तर खण्डों को एक के ऊपर एक रखकर बिना चूने गारे के एक गोलाकार गुम्बारे का निर्माण वि.संवत 1594 में कराया। इस गुम्बारे के बीचोंबीच करणीजी की पीले पत्थर पर कोरनी की गयी भव्य और आकर्षक मूर्ति स्थापित है, जो लोकमान्यता के अनुसार जैसलमेर के एक अंधे कारीगर द्वारा बनाई गई थी।
       मंदिर में चूहों को दूध पिलाने के लिए कड़ाव रखे हैं। उनको मिठाई खिलाने व दूध पिलाने के लिए नियमित बजट का प्रावधान है। करणीमाता को लापसी का नियमित भोग लगता है। नवरात्र तथा अन्य विशेष अवसरों पर विशाल पैमाने पर भोग व प्रसादी का आयोजन होता है। सफ़ेद चूहे (White Rat) व चील का दिखाई देना बहुत शुभ माना जाता है।

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3 comments:

  1. Jai ho Deshnok ki Karni Mata

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  2. Jai Maa Karni... Jai Maa Bhawani

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  3. Amazing Temple of Rats... Jai Karni Mata

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